Saturday, April 25, 2020

कोरोना-काल और व्यवसाय

*कोरोना -काल और व्यवसाय* आज दुनिया जिस मुश्किल दौर से गुजर रही है उसकी कल्पना भी नहीं की गई होगी ।इसका कारण यह है किया है कि  कोरोना ने दुनिया के 80% आबादी को प्रभावित किया है,  व्यवसाय और नौकरी इससे 90% प्रभावित हुए है खासकर यदि प्राइवेट नौकरियों की ओर देखा जाए तो यह  दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए 80% जिम्मेदार है । नौकरियों के जाने  से  इसका  अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो  देश प्रभावित हुए हैं उसकी अर्थव्यवस्था बिल्कुल बुरी दौर से गुजर रही है चाहे वह अमेरिका हो या भारत अर्थात प्रगतिशाली देश हो या प्रगतिशील देश हो इस बात से  अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस कोरोना -काल ने  प्राइवेट सेक्टर की लगभग 60% नौकरियों को खा लिया है अर्थात इतनी बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं परंतु इसी दौर में कुछ ऐसी भी व्यवसाय हैं या नौकरियां हैं जिनमें काफी प्रगति देखी जा रही है जी हां नोबेल कोरोना- काल मे भी नोबेल बानी हुई है अर्थात शिक्षा क्षेत्र इस कोरोना  काल के दौरान  जब लोग अपने घरों में बैठकर अपनी जान बचाने के लिए पड़े हुए हैं उस दौर में भी ये शिक्षक अपने ज्ञान का पिटारा संसार के सामने खोलने में व्यस्त हैं चूकि शिक्षा या विद्यादान दुनिया का सबसे बड़ा दान है और इस कार्य में सहयोग देने वाले शिक्षण संस्थान और तकनीकी सहायकों  का बहुत बड़ा योगदान है पर ये वही शिक्षक हैं जिन्होंने अपने जीवन में भले ही कभी तकनीकी का प्रयोग नहीं किया हो लेकिन आज धड़ल्ले से इसका प्रयोग करते  देखे जा रहे हैं और अपने छात्रों का मार्गदर्शन कर रहे हैं ऐसे     जज़्बा को मैं नमन करता हूँ । एक ऐसा व्यवसाय का क्षेत्र है ,जिसमें कोरोना-काल का प्रभाव ना के बराबर देखा जा रहा है ,मैं उन शिक्षकों अध्यापकों और अधिवक्ताओं को नमन करता हूँ जिनकी इस बेजोड़ पहल की वजह से आज का विद्यार्थी कोरोना-काल की स्थिति में भी ज्ञान  की प्यास को बुझा पा रहा है और वो भी बिना किसी बाधा के अपने कार्यों को पूरा करते जा रहा है ।
मित्रों  परिस्थितियां कुछ भी हो, समय कोई भी क्यों न हो परंतु यह एक ऐसा व्यवसाय है जो जब तक दुनिया  है तब तक यह चलता रहेगा और  जन बृद्धि के साथ इसमें प्रगति बनी रहेगी आज के इन्ही शिक्षकों की देन है कि  पूरा विद्यार्थी वर्ग इसका ऋणी बना हुआ है ।तो क्यों ना हम भी अपना योगदान इस सबसे बड़े दान में दे। इसी विचार से मैंने कुछ शिक्षकों के लिए सहायक सामग्री तैयार किया है जो शिक्षकों के लिए काफी उपयोगी सिद्ध हो रही है उसके लिए मैंने भी कई चीजें सीखी भी है और अपना भरपूर योगदान देने की कोशिश किया है ताकि इस विद्या- दान की आहुति में मैं भी अपना अंश योगदान दे सकूँ ।मेरा अन्य क्षेत्रों के लोगों से मेरा निवेदन है आप भी यदि शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ना चाहते हैं अपना योगदान देना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें और आप अपनी राय इसमें व्यक्त करें । मुझे आशा है आप सब इस ज्ञानदान की आहुति में अपना योगदान देकर हमें कृतार्थ करेंगे कुछ बातें और मैं यहां पर करना चाह रहा हूं कि जो शिक्षक एक नोबेल प्रोफेशन में है उनको नमन करता हूं और आग्रह करता हूं कि यदि आपके पास भी कुछ ऐसी सामग्री है जो दूसरे अध्यापकों के लिए सहायक सिद्ध हो सकती है तो आप इस पर डालें और बाकी अध्यापकों को भी प्रेरित करें मेरे विचार अभिव्यक्ति में यदि कुछ कमियाँ या त्रुटियां रह गयी हो तो अनुज या  नवसिखुआ समझकर मुझे क्षमा करें ।धन्यवाद!
 सुनील दुबे

1 comment:

  1. + पीपीटी बनाने का बहुत सुंदर तरीका बताया गया है । ब्लॉग में यदि आप सीबीएसई के नए पाठ्यक्रम और आर्ट इंटीग्रेशन के विषय में भी चर्चा अथवा मुख्य बातें बताएं तो धन्यवाद है।

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